राष्ट्र रक्षक
जीवन के ऋण मनुष्य-जीवन जन्म से ही तीन प्रकार के ऋणों से बंध जाता हैं। पहला ऋण ममता का, दुसरा समाज का व तीसरा मातृभूमि का। यदि प्रत्येक मानवीय जीवन अपनी इन तीन तरह के ऋणों के प्रती कृतज्ञता में बीते तो आत्म संतुष्टि को प्राप्त कर सकता हैं। इन तीन ऋणों को उतारने के…