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Tag: politics and dharma

कौन हैं जागृत

Posted on May 20, 2017May 16, 2023 By admin No Comments on कौन हैं जागृत

चेतना से जीवन संपूर्ण सृष्टि में उपस्थित प्रत्येक कण-कण को सजीव अथवा निर्जीव गुणधर्म के आधार पर दो प्रमुख भागों में आसानी से विभाजित किया जा सकता हैं। सजीव, जो किसी भी तरह की चेतना से युक्त हो तथा नीर्जीव, जो पूर्णतया चेतना विहीन हो। चेतना, जो की हर तरह से सजीव गुणधर्म के लिये…

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धर्म के प्रति जागरूकता

Posted on May 20, 2017May 13, 2023 By admin No Comments on धर्म के प्रति जागरूकता

धर्म की समझ यदि मात्र कुछ शब्दों में ही व्यवहारिक तौर पर धर्म को समझना हैं तो कहा जा सकता हैं कि — धर्म अर्थात वह धारणा जिससे सृष्टि के कण-कण का कल्याण सुनिश्चित हो। धर्म अर्थात, स्वयं से जुड़े कण-कण की सेवा। सेवा, परिजनों की, समाज की, धरती की, पशुओं कि यहाँ तक की…

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इतिहास से परिचित

Posted on May 20, 2017May 13, 2023 By admin No Comments on इतिहास से परिचित

इतिहास का महत्व किसी भी देश की नीव उस देश के इतिहास ज्ञान पर खडी होती हैं। जहाँ भी लोगों को उनके इतिहास का ज्ञान होता हैं, वे अपने मातृभूमि से मजबुती से जुड़े रहते हैं। इतिहास का ज्ञान वृक्ष की जड़ों कि भाँती लोगों को उनकी धरा से बांधे रखता हैं। यह उसी प्रकार…

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समाज के प्रती सचेत

Posted on May 20, 2017May 13, 2023 By admin No Comments on समाज के प्रती सचेत

समाज का महत्व मानव जीवन बगैर समाज के अधूरा हैं। हमारा समाज हमें हमारी सभ्यता व संस्कृती से परिचित करवाता हैं। हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने में समाज की अहम भूमिका होती हैं। समाजिक सद्भाव कि अनीवार्यता नैतिकता कि दिशा में प्रेरित करती हैं। हम अपने समाज से जुड़ते हुए समाजिक परिवेश कि रक्षा…

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राजनीति के प्रती जागरूकता

Posted on May 20, 2017March 11, 2024 By admin No Comments on राजनीति के प्रती जागरूकता

राजनीती का महत्व “I hate Politics” यह तीन शब्द किसी भी पढें-लिखे युवा के लिये बेहद आम से बन गये हैं। या तो वो खुद दुसरों से कहता फिरेगा या फिर उसे कोई-न-कोई कहता मिल ही जायेगा। ना तो हमारी शिक्षा हमें राजनीति का महत्व पुरी तरह सिखा पाती हैं और ना ही आज का…

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विदेशी षडयंत्र

Posted on May 20, 2017May 13, 2023 By admin No Comments on विदेशी षडयंत्र

आजाद भारत का सच आज कहने को तो भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र हैं जिसमें लोकतंत्र स्थापित हैं – अर्थात जनता द्वारा, जनता के लिये चुना गया प्रशासन। लेकिन आज़ादी के पश्चात से आज तक जैसी व्यवस्था मिली हैं यह कहने को मजबूर करती हैं कि भारत पर अब तक भारतीयों का पूर्ण अधिकार कभी हो…

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संचार तंत्र और साजिश

Posted on May 20, 2017May 13, 2023 By admin No Comments on संचार तंत्र और साजिश

मिडिया की जिम्मेदारी लोकतंत्र में संचार तंत्र चौथा स्तंभ माना गया हैं। संचार तंत्र कि जिम्मेदारी होती हैं कि वे लोगों के सामने देश कि वास्तविक स्थिती को लाये व देश से जुड़े सभी मसलों पर लोगों को “देशहित” में जागृत करें। किंतु लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ पर आज विदेशीतंत्र व देश के ही…

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सामाजिक संचार तंत्र की भूमिका

Posted on May 20, 2017May 13, 2023 By admin No Comments on सामाजिक संचार तंत्र की भूमिका

सामाजिक परिवेश प्राचीन दौर से आधुनिक युग तक कइ रूपों में सामाजिक परिवेश बदलता चला गया। इस बदलते परिवेश में कुछ यदि हितकारी बदलाव हुए तो कइ अहितकारी-अनचाही परिस्थितीयों ने भी जन्म लीया। सामाजिक दृष्टि से जो सबसे बड़ा पतन हुवा वह लोगों से लोगों का दुर होना। कहीं लोग आजीविका कि खोज में अपनों…

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मनोरंजन जगत पर सतर्कता

Posted on May 20, 2017May 13, 2023 By admin No Comments on मनोरंजन जगत पर सतर्कता

आधुनिक मनोरंजन का सच जिस तरह युग और युगांतर बदलते गये, मानवीय जीवन में भी जीने के तौर तरीकों में भारी बदलाव आया। भारत का मूल सांस्कृतिक जिवन जहाँ “सादा जीवन, उच्च विचार” जैसे मंत्र कि और प्रेरित करता हैं वहीं चकाचौंध से भरे संस्कार रहित आधुनिक जीवन में वैचारिक क्षमता का स्तर लगातार घटता…

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राष्ट्र रक्षक

Posted on May 20, 2017May 13, 2023 By admin No Comments on राष्ट्र रक्षक

जीवन के ऋण मनुष्य-जीवन जन्म से ही तीन प्रकार के ऋणों से बंध जाता हैं। पहला ऋण ममता का, दुसरा समाज का व तीसरा मातृभूमि का। यदि प्रत्येक मानवीय जीवन अपनी इन तीन तरह के ऋणों के प्रती कृतज्ञता में बीते तो आत्म संतुष्टि को प्राप्त कर सकता हैं। इन तीन ऋणों को उतारने के…

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